पहले डुवार्स क्षेत्र में ही भूटानी नोटों ने अपना साम्राज्य कायम किया था। अब यह अवैध कारोबार कूचबिहार जिले तक फैल चुका है। इससे आम जनता सहित व्यवसायी वर्ग परेशान है। इन व्यवसायियों का कहना है कि भूटानी नोटों के प्रचलन से भारतीय नोट बाजार से लुप्त हो सकते हैं। खासतौर से बसों में भूटानी नोट का प्रचलन धड़ल्ले से हो रहा है। दिनहाटा के एक अर्थशास्त्री का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अंदर से खोखला करने के लिए यह अंतर्राष्ट्रीय तस्कर गिरोह की गंभीर साजिश है जिसे यदि समय पर रोका नहीं गया तो हमारे देश के लिए घातक साबित हो सकता है। दिनहाटा महकमा व्यवसायी समिति के सचिव राणा गोस्वामी एवं अध्यक्ष भवानी शंकर अग्रवाल ने कहा कि भूटानी व जाली नोटों का जाल बिछ जाने से काफी नुकसान हो रहा है। यदि प्रशासन ने इस पर समय रहते अंकुश नहीं लगाया तो एक समय आयेगा कि भारतीय नोट बाजार से गायब ही हो जायेंगे। उन्होंने इस संबंध में राष्ट्रीयकृत बैंकों व प्रशासन की भूमिका को लेकर भी सवाल खड़े किये। श्री गोस्वामी ने कहा कि शुरू शुरू में प्रशासन ने इस अवैध कारोबार पर रोक लगाने की कोशिश की लेकिन वह कोशिश जल्द ही काफूर हो गयी। इसके साथ ही बाजार में जाली नोटों के प्रवेश से आम जनता पहचान को लेकर असमंजस में है। जाली नोट ऐसे होते हैं कि उन्हें पहचानना एक मुश्किल काम है। जाली नोटों के कारोबारियों के साथ कई निर्दोष लोग भी इसकी चपेट में आ जा रहे हैं। इससे आम जनता की परेशानी बढ़ती जा रही है। इस संबंध में दिनहाटा कालेज के अर्थशास्त्र विभाग के अध्यापक साधन कर ने कहा कि जिस बड़े पैमाने पर जाली नोटों का बाजार में प्रवेश हो रहा है उस हिसाब से देश में मुद्रा स्फीति बढ़ने के सारे लक्षण विद्यमान हैं। उन्होंने आशंका व्यक्त की है कि प्रशासन को अंधेरे में रखकर जाली नोटों के तस्करों का एक गिरोह भारतीय अर्थव्यवस्था को पंगु करने की दिशा में साजिश रच रहा है। भूटानी नोटों के प्रवेश से दिनहाटा के बाजार में जरूरी चीजों के मूल्य में आयी अप्रत्याशित वृद्धि इसी का परिणाम हो सकती है। प्रशासन की लापरवाही व ढिलाई से आम जनता को और अंतत: पूरे देश को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है। जब इस बारे में एसडीओ इंद्रजीत पाल से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि पुलिस को जाली एवं भूटानी नोटों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है।
(News Source : Dainik Jagaran)
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